Follow my blog with Bloglovin

Category: Magazine

व्यक्ति, व्यक्तिगत अनुभव और व्यक्तित्व

व्यक्तिगत अनुभव और व्यक्तित्व व्यक्ति, व्यक्तित्व ‘व्यक्तिगत अनुभव’ दर्शन और ज्योतिष की भी केंद्रीय विषय वस्तु हैं हालांकि ये आत्मनिष्ठ प्रश्न हैं किन्तु फिर भी अधिकांशतः ये दर्शन मे समेकित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की शृंखला मे ही आते हैं।व्यक्ति की संकल्पना मे बहुत अर्थछटाएं है, साधारणतः व्यक्ति से हमारा तात्पर्य दृष्टिगत या निश्चित व्यक्तिपरक या निश्चित …

Continue reading

‘साधना’ एक दार्शनिक एवं व्यापक संदर्भ शब्द

‘साधना’ हिन्दी, संस्कृत या भारत की वज्रयानी नामक बुद्धत्व की शाखा से जुड़ा हुआ एवं आज भी एक अत्यंत असीम संभावनाओं को लिए हुए शब्द है, जिसका पूर्ववर्ती प्रयोग सामान्यतः केवल धम्म, धर्म या एक सात्विक चिंतन प्रवाह को अधिक समय तक बनाए रखने के लिए किया जाता था, किन्तु पूर्व समय के कुछ लोग …

Continue reading

क्या हम ज्योतिष को केवल धर्म या परम्पराओं की दृष्टि से ही देख सकते हैं या?

क्या हम ज्योतिष को केवल धर्म या परम्पराओं की दृष्टि से ही देख सकते हैं या? संभवतः ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, क्योंकि ज्योतिष को ज्योतिष, नजूमी, एस्ट्रोलोजर आदि अनेक नामों से दुनिया मे जाना जाता है, और संभवतः दुनियाभर मे ज्योतिष आदि का इल्म रखने वाले सभी लोगों से वहाँ की परम्पराओं की रक्षा …

Continue reading