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व्यक्ति, व्यक्तिगत अनुभव और व्यक्तित्व

व्यक्तिगत अनुभव और व्यक्तित्व व्यक्ति, व्यक्तित्व ‘व्यक्तिगत अनुभव’ दर्शन और ज्योतिष की भी केंद्रीय विषय वस्तु हैं हालांकि ये आत्मनिष्ठ प्रश्न हैं किन्तु फिर भी अधिकांशतः ये दर्शन मे समेकित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की शृंखला मे ही आते हैं।व्यक्ति की संकल्पना मे बहुत अर्थछटाएं है, साधारणतः व्यक्ति से हमारा तात्पर्य दृष्टिगत या निश्चित व्यक्तिपरक या निश्चित …

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दर्शन की ‘सात्यता’ (Continuum philosophies)

दर्शन की ‘सात्यता’ (Continuum philosophies) (सातत्य एक ऐसी चीज़ है जो चलती रहती है, समय के साथ धीरे-धीरे बदलती रहती है, सतत वस्‍तु शृंखला) हो सकता है, आप किसी ऐसे राज्य या देश काल परिस्थितियों मे केवल एक नागरिक की भांति अपने आस पास की चीज़ों, संभावनाओं या वस्तुगत परिस्थितियों को नेविगेट या स्वयं को …

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क्या ‘मानव चरित्र एवं स्वभाव’ भाग्य जनित समस्या है?

जैसा कि हम जानते हैं के कर्म का एक विभाग भाग्य होता है, और इस भाग्य के साथ कई जन्मों की अवधारणा संलग्न है, यदि आप विज्ञान सम्मत उस चिंतन के अधीन होकर इस मत से जाने अनजाने में कुछ दूरी भी बना लें, जो विगत शताब्दियों मे प्रसिद्ध एक विज्ञानी, केवल एक विज्ञानी डार्विन …

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‘साधना’ एक दार्शनिक एवं व्यापक संदर्भ शब्द

‘साधना’ हिन्दी, संस्कृत या भारत की वज्रयानी नामक बुद्धत्व की शाखा से जुड़ा हुआ एवं आज भी एक अत्यंत असीम संभावनाओं को लिए हुए शब्द है, जिसका पूर्ववर्ती प्रयोग सामान्यतः केवल धम्म, धर्म या एक सात्विक चिंतन प्रवाह को अधिक समय तक बनाए रखने के लिए किया जाता था, किन्तु पूर्व समय के कुछ लोग …

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क्या हम ज्योतिष को केवल धर्म या परम्पराओं की दृष्टि से ही देख सकते हैं या?

क्या हम ज्योतिष को केवल धर्म या परम्पराओं की दृष्टि से ही देख सकते हैं या? संभवतः ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, क्योंकि ज्योतिष को ज्योतिष, नजूमी, एस्ट्रोलोजर आदि अनेक नामों से दुनिया मे जाना जाता है, और संभवतः दुनियाभर मे ज्योतिष आदि का इल्म रखने वाले सभी लोगों से वहाँ की परम्पराओं की रक्षा …

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ज्योतिष एवं स्वतंत्र इच्छा शक्ति

ज्योतिष का संबंध अनिवार्य से या आधारभूत से है। मनुष्य की जिज्ञासा उत्सुकता अधिक से अधिक अर्ध आधारभूत तक ही जाती है, मनुष्य खुशी खुशी या दुख की अवस्था में मृत्यु को प्राप्त करेगा, उसका सम्बद्ध अनिवार्य या आधारभूत ज्योतिष से है। वो इमारत शीघ्र गिर सकती है या गिर जाएगी जिसके आधार गौण या …

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‘ज्योतिष’ पंचांग इतिहास पर्यवेक्षण प्रक्रिया भी

‘ज्योतिष’ पंचांग इतिहास पर्यवेक्षण प्रक्रिया भी प्राचीन भारतीय मान्यताओं के अनुसार सम्राट कनिष्क के द्वारा बनवाया गया शक संवत सबसे प्राचीन उपलब्ध पंचांग है, शक संवत से पहले भी बहुत से पंचांग उस समय के समाज में प्रचलित थे, किन्तु तमाम तरह की अशुद्धियों के कारण ही संभवतः उन्हे बिसार दिया गया हो। कालांतर में …

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मनुष्य सामान्यतः स्वयं को ही नही जानता है।

मनुष्य सामान्यतः स्वयं को नही जानता है, मनुष्य नहीं जानता है कि मूलतः वो कौन है अर्थात वह नही जानता कि स्वभावतः वह दुनिया में किसी परिस्थितिवश किस तरह का व्यवहार करेगा। इसी तरह मनुष्य नहीं जानता कि किसी तरह के निश्चित भाव या संवेदनाएं उसके मनोमय कोश से कभी कहीं क्यों गुजरते हैं, किसी …

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